ठकोसले बहुत हैं

न मन थका-हारा, न तन थका-हारा

किसी झूठ, किसी सच में फंसा बेचारा

यहां दुनियादारी के ठकोसले बहुत हैं

किस-किससे निपटे, बुरा फंसा बेचारा