जीवन-दर्शन दे जाते हैं ये पत्थर

किसी छैनी हथौड़ी के प्रहार से नहीं तराशे जाते हैं ये पत्थर

प्रकृति के प्यार मनुहार, धार धार से तराशे जाते हैं ये पत्थर

यूं तो  ठोकरे खा-खाकर भी जीवन संवर-निखर जाता है

इस संतुलन को निहारती हूं तो जीवन डांवाडोल दिखाई देता है
मैं भाव-संतुलन नहीं कर पाती, जीवन-दर्शन दे जाते हैं ये पत्थर

देखो तो सूर्य भी निहारता है जब आकार ले लेते हैं ये पत्थर