जीवन की यह भागम-भागी

सांझ है या सुबह की लाली, जीवन की यह भागम-भागी।

चलते जाना, कहां ठिकाना, कौन समझे कैसी पीर लागी।

रेतीली धरती पर पैर जमे हैं, रोज़ ठिकाना बदल रहा,

घन घिरते, अब बरसेंगे, कब बरसेंगे, चलते रहना रागी।