जीना है तो बुझी राख में भी आग दबाकर रखनी पड़ती है

मन के गह्वर में एक ज्वाला जलाकर रखनी पड़ती है

आंसुओं को सोखकर विचारधारा बनाकर रखनी पड़ती है

ज़्यादा सहनशीलता, कहते हैं निर्बलता का प्रतीक होती है

जीना है तो, बुझी राख में भी आग दबाकर रखनी पड़ती है