जब तक चिल्लाओ  न, कोई सुनता नहीं

अब शांत रहने से यहां कुछ मिलता नहीं

जब तक चिल्लाओ  न, कोई सुनता नहीं

सब गूंगे-बहरे-अंधे अजनबी हो गये हैं यहां

दो की चार न सुनाओ जब तक, काम बनता नहीं