जब टिकट किसी का कटता है

सुनते हैं कोई एक भाग्य-विधाता सबके लेखे लिखता है

अलग-अलग नामों से, धर्मों से सबके दिल में बसता है

फिर न जाने क्यों झगड़े होते, जग में इतने लफड़े होते

रह जाता है सब यहीं, जब टिकट किसी का कटता है