छटा निखर कर आई

शीत ऋतृ ने पंख समेटे धूप निखरकर आई

तितली ने मकरन्द चुना,फूलों ने ली अंगड़ाई

बासन्ती चूनर ओढ़े उपवन ने देखो रंग बदले,

पल्लव निखरे,पुष्प खिले,छटा निखर कर आई