चंदा को जब देखो मनमर्ज़ी करता है

चंदा को मैंने थाम लिया, जब देखो अपनी मनमर्ज़ी करता है

रोज़ रूप बदलता अपने, जब देखो इधर-उधर घूमा करता है

जब मन हो गायब हो जाता है, कभी पूरा, कभी आधा भी

यूं तो दिन में भी आ जायेगा, ईद-चौथ पर तरसाया करता है