गगन पर बिखरी रंगीनिया

सूरज की किरणें देखो नित नया कुछ लाती है

भोर की आभा देखो नित नये रूप सजाती है

पत्ते-पत्ते पर खेल रही ओस की बूंदे झिलमिल

गगन पर बिखरी रंगीनिया देखो नित लुभाती है।