खैरात में मिले, नाम बाप के मिले

शिक्षा की मांग कीजिए, प्रशिक्षण की मांग कीजिए, तभी बात बन पायेगी

खैरात में मिले, नाम  बाप के मिले, कोई नौकरी, न बात कभी बन पायेगी

मन-मन्दिर में न अपनेपन की, न प्रेम-प्यार की, न मधुर भाव की रचना है

द्वेष-कलह,वैर-भाव,मार-काट,लाठी-बल्लम से कभी,कहीं न बात बन पायेगी