खुशियों के रंग

द्वार पर अल्पना

मानों मन की कोई कल्पना

रंगों में रंग सजाती

मन के द्वार खटखटाती

पाहुन कब आयेगा

द्वार खटखटाएगा।

मन के भीतर

रंगीनियां सजेंगी

घर के भीतर

खुशियां बसेंगीं।