खास नहीं आम ही होता है आदमी

खास कहां होता है आदमी

आम ही होता है आदमी।

 

जो आम नहीं होता

वह नहीं होता है आदमी।

वह होता है

कोई बड़ा पद,

कोई उंची कुर्सी,

कोई नाम,

मीडिया में चमकता,

अखबारों में दमकता,

करोड़ों में खेलता,

किसी सौदे में उलझा,

कहीं झंडे गाढ़ता,

लम्बी-लम्बी हांकता

विमान से नीचे झांकता

योजनाओं पर रोटियां सेंकता,

कुर्सियों की

अदला-बदली का खेल खेलता,

अक्सर पूछता है

कहां रहता है आम आदमी,

कैसा दिखता है आम आदमी।

क्यों राहों में आता है आम आदमी।