खामोशी बोलती है

शोर को चीरकर एक खामोशी बोलती है।

मन आहत, घुटता है, भावों को तोलती है।

चुप्पी में शब्दों की आहट गहरी होती है,

पकड़ सको तो मन के सारे घाव खोलती है।