कोल्हू के बैल सरकारी मेहमान हो गये हैं

कोल्हू के बैलों की

आजकल

नियुक्ति बदल गई है,

कुछ कार्यविधि भी।

गांवों से शहरों में

विस्थापित होकर

सरकारी मेहमान हो गये हैं।

अब वे पिसते नहीं

पीसते हैं तेल।

वे किस-किसका तेल निकालते हैं

पता नहीं।

यह भी पता नहीं लग पा रहा

कि कौन-सा तेल निकालते हैं।

वैसे तो पिछले 18 दिन से

चर्चा में है कोई तेल,

वही निकाल रहे हैं

या कोई और।

एक समिति का गठन

कर लिया गया है जांच के लिए।

पर कोई भी तेल निकालें

अन्ततः

निकलना तो हमारा ही है।

किन्तु ध्यान रहे

पीपा लेकर मत आ जाना

भरने के लिए।

इस तेल से रोटी न बना डालना,

क्योंकि, अभी सरकारी जांच जारी है,

कोई विदेशी सामान न लगा हो कोल्हू में।