कृष्ण की पुकार

न कर वन्‍दन मेंरा

न कर चन्‍दन मेरा

अपने भीतर खोज

देख क्रंदन मेरा।

हर युग में

हर मानव के भीतर जन्‍मा हूं।

न महाभारत रचा

न गीता पढ़ी मैंने

सब तेरे ही भीतर हैं

तू ही रचता है।

ग्‍वाल-बाल, गैया-मैया, रास-रचैया

तेरी अभिलाषाएं

नाम मेरे मढ़ता है।

बस राह दिखाई थी मैंने  

न आयुध बांटे

न चक्रव्‍यूह रचे मैंने

लाक्षाग्रह, चीर-वीर,

भीष्‍म-प्रतिज्ञाएं

सब तू ही करता है

और अपराध छुपाने को अपना

नाम मेरा रटता है।

पर इस धोखे में मत रहना

तेरी यह चतुराई

कभी तुझे बचा पायेगी।

कुरूक्षेत्र अभी लाशों से पटा पड़ा है

देख ज़रा जाकर

तू भी वहीं कहीं पड़ा है।