कुछ तो मुंह भी खोल

बस !

अब बहुत हुआ।

केवल आंखों से न बोल।

कुछ तो मुंह भी खोल।

कोई बोले कजरारे नयना

कोई बोले मतवारे नयना।

कोई बोले अबला बेचारी,

किसी को दिखती सबला है।

तेरे बारे में,

तेरी बातें सब करते।

अवगुण्ठन के पीछे

कोई तेरा रूप निहारे

कोई प्रेम-प्याला पी रहे ।

किसी को

आंखों से उतरा पानी दिखता

कोई तेरी इन सुरमयी आंखों के

नशेमन में जी रहे।

कोई मर्यादा ढूंढ रहा

कोई तेरे सपने बुन रहा,

किसी-किसी को

तेरी आबरू लुटती दिखती

किसी को तू बस

सिसकती-सिसकती दिखती।

जिसका जो मन चाहे

बोले जाये।

पर तू क्या है

बस अपने मन से बोल।

बस अब बहुत हुआ।

केवल आंखों से न बोल।

कुछ तो मुंह भी खोल।