कुछ तो करवा दो सरकार

 कुएँ बन्द करवा दो सरकार।

अब तो मेरे घर नल लगवा दो सरकार।

इस घाघर में काम न होते

मुझको भी एक सूट सिलवा दो सरकार।

चलते-चलते कांटे चुभते हैं

मुझको भी एक चप्पल दिलवा दो सरकार।

कच्ची सड़कें, पथरीली धरती

कार न सही,

इक साईकिल ही दिलवा दो सरकार।

मैं कोमल-काया, नाज़ुक-नाज़ुक

तुम भी कभी घट भरकर ला दो सरकार।

कान्हा-वान्हा, गोपी-वोपी,

प्रेम-प्यार के किस्से हुए पुराने

तुम भी कुछ नया सोचो सरकार।

शहरी बाबू बनकर रोब जमाते फ़िरते हो

दो कक्षा

मुझको भी अब तो पढ़वा दो  सरकार।