कुछ कह रही ओस की बूंदे

रंग-बिरंगी आभाओं से सजकर रवि हुआ उदित

चिड़ियां चहकीं, फूल खिले, पल्लव हुए मुदित

देखो भाग-भागकर कुछ कह रही ओस की बूंदे

इस मधुर भाव में मन क्यों न हो जाये प्रफुल्लित