कितना खोया है मैंने

डायरी लिखते समय
मुझसे
अक्सर 
बीचबीच में
एकाध पन्ना
कोरा छूट जाया करता है
और कभी शब्द टूट जाते हैं
बिखरे से, अधूरे।
पता नहीं
कितना खोया है मैंने
और कितना छुपाना चाहा है
अपनेआप से ही
अनकहाअनलिखा छोड़कर।