कहीं अंग्रेज़ी के कहीं हिन्दी के फूल

कहीं अंग्रेज़ी के कहीं हिन्दी के फूल बना रहे हैं राजाजी

हरदम केतली चढ़ा अपनी वीरता दिखा रहे हैं राजाजी

पानी खौल गया, आग बुझी, कभी भड़क गई देखो ज़रा

फीकी, बासी चाय पिला-पिलाकर बहका रहे हैं राजाजी