कल डाली पर था आज गुलदान में

कवियों की सोच को न जाने क्या हुआ है, बस फूलों पर मन फिदा हुआ है

किसी के बालों में, किसी के गालों में, दिखता उन्हें एक फूल सजा हुआ है

प्रेम, सौन्दर्य, रस का प्रतीक मानकर हरदम फूलों की चर्चा में लगे हुये हैं

कल डाली पर था, आज गुलदान में, और अब देखो धरा पर पड़ा हुआ है