कर्मनिष्ठ जीवन तो जीना होगा

 

ये कैसा रंगरूप अब तुम ओढ़कर चले हो,

क्यों तुम दुनिया से यूं मुंह मोड़कर चले हो,

कर्मनिष्ठ-जीवन में विपदाओं से जूझना होगा,

त्याग के नाम पर कौन से सफ़र पर चले हो।