कदम रखना सम्भल कर

इन राहों पर कदम रखना सम्भल कर, फ़िसलन है बहुत

मन को कौन समझाये इधर-उधर तांक-झांक करे है बहुत

इस श्वेताभ नि:स्तब्धता के भीतर जीवन की चंचलता है

छूकर देखना, है तो शीतल, किन्तु जलन देता है बहुत