ओ बादल अब तो बरस ले

तेरे बिना

जीवन की आस नहीं,

तेरे बिना जीव का भास नहीं,

न जाने क्यों

अक्सर रूठ जाया करते हैं।

बुलाने पर भी

नहीं सूरत दिखाया करते हैं।

जानते हो,

मौसम बड़ा बेरहम है,

बस झलक दिखाकर

अक्सर मुंह मोड़कर

चले जाया करते हैं।

न चिन्ता न जताया करते हैं।

 

ओ बादल!

अब तो बरस ले,

हर बार,

ग्रीष्म में यूं ही सताया करते हैं।