एक वृक्ष बरगद का सपना

मेरे आस-पास

एक बंजर है - रेगिस्तान।

मैंने अक्सर बीज बोये हैं।

पर वर्षा नहीं होती।

पर पानी के बिना भी

पता नहीं

कहां से नमी पाकर

अक्सर

हरी-हरी, विनम्र, कोमल-सी

कांेपल उग आया करती है

एक वृक्ष बरगद का सपना लेकर।

 

लेकिन वज्रपात !

इस बेमौसम

ओलावृष्टि का क्या करूं

जो सब-कुछ

छिन्न-भिन्न कर देती है।

 

पर मैं

चुप बैठने वाली नहीं हूं।

निरन्तर बीज बोये जा रही हूं।

 

यह निमन्त्रण है।