एक बेला ऐसी भी है

 

एक बेला ऐसी भी है

जब दिन-रात का

अन्तर मिट जाता है

उभरते प्रकाश

एवं आशंकित तिमिर के बीच

मन उलझकर रह जाता है।

फिर वह दूर गगन हो

अथवा  

अतल तक की गहरी जलराशि।

मन न जाने

कहां-कहां बहक जाता है।

सब एक संकेत देते हैं

प्रकाश से तिमिर का

तिमिर से प्रकाश का

बस

इनके ही समाधान में

जीवन बहक जाता है।