ऋद्धि सिद्धि बुध्दि के नायक

वक्रतुण्ड , एकदन्त, चतुर्भुज, फिर भी रूप तुम्हारा मोहक है

शांत चित्त, स्थिर पद्मासन में बैठै प्रिय भोज तुम्हारा मोदक है

ऋद्धि सिद्धि बुध्दि के नायक, क्षुद्र मूषक को सम्मान दिया

शिव गौरी के सुत, मां के वचन हेतु अपना मस्तक बलिदान किया

शांत चित्त, स्थिर पद्मासन में बैठै जग का नित कल्याण किया