उसकी लेखी पढ़ी नहीं

कुछ पन्ने कोरे छोड़े थे कुछ रंगीन किये थे

कुछ पर मीठी यादें थीं कुछ गमगीन किये थे

कहते हैं लिखता है उपर वाला सब स्याह सफ़ेद

उसकी लेखी पढ़ी नहीं यही जुर्म संगीन किये थे