इसे कहते हैं एक झाड़ू

कभी थामा है झाड़ू हाथ में

कभी की है सफ़ाई अंदर-बाहर की

या बस एक फ़ोटो खिंचवाई

और चल दिये।

साफ़ सड़कों की सफ़ाई

साफ़ नालियों की धुलाई

इन झकाझक सफ़ेद कपड़ों पर

एक धब्बा न लगा।

कभी हलक में हाथ डालकर

कचरा निकालना पड़े

तो जान जाती है।

कभी दांत में अटके तिनके को

तिनके से निकालना पड़े तो

जान हलक में अटक जाती है।

हां, मुद्दे की बात करें,

कल को होगी नीलामी

इस झाड़ू की,

बिकेगा लाखों-करोड़ों में

जिसे कोई काले धन का

कचरा जमा करने वाला

सम्माननीय नागरिक

ससम्मान खरीदेगा

या किसी संग्रहालय में रखा जायेगा।

देखेगी इसे अगली पीढ़ी

टिकट देकर, देखो-देखो

इसे कहते हैं एक झाड़ू

पिछली सदी में

साफ़ सड़कों पर कचरा फैलाकर

साफ़ नालियों में साफ़ पानी बहाकर

एक स्वच्छता अभियान का

आरम्भ किया गया था।

लाखों नहीं

शायद करोड़ों-करोड़ों रूपयों का

अपव्यय किया गया था

और सफ़ाई अभियान के

वास्तविक परिचालक

पीछे कहीं असली कचरे में पड़े थे

जिन्होंने अवसर पाते ही

बड़ों-बड़ों की कर दी थी सफ़ाई

किन्तु जिन्हें अक्ल न आनी थी

न आई !!!!!