इस जग की आपा-धापी में

उलट-पलट कर चित्र को देखो तो, डूबे हैं दोनों ही जल में

मेरी छोड़ो मैं तो डूबी, तुम उतरो ज़रा जग के प्रांगण में

इस जग की आपा-धापी में मेरे संग जीकर दिखला दो तो

गैया,मैया,दूध,दहीं,चरवाहे,माखन,भूलोगे सब पल भर में