आनन्द है प्यार में और हार में

जीवन की नैया बार-बार अटकती है मझधार में

पुकारती हूं नाम तुम्हारा बहती जाती हूं जलधार में

कभी मिलते,कभी बिछड़ते,कभी रूठते,कभी भूलते

यही तो आनन्द है हर बार प्यार में और हार में