आज भी वहीं के वहीं हैं हम

कहां छूटा ज़माना पीछे, आज भी वहीं के वहीं हैं हम

न बन्दूक है न तलवार दिहाड़ी पर जा रहे हैं हम

नज़र बदल सकते नहीं किसी की कितनी भी चाहें

ये आत्म रक्षा नहीं जीवन यापन का साधन लिए हैं हम