आंखों में तिरते हैं सपने

आंखों में तिरते हैं सपने,

कुछ गहरे हैं कुछ अपने।

पलकों के साये में

लिखते रहे

प्यार की कहानियां,

कागज़ पर न उकेरी कभी

तेरी मेरी रूमानियां।

 

कुछ मोती हैं,

नयनों के भीतर

कोई देख न ले,

पलकें मूंद सकते नहीं

कोई भेद न ले।

 

यूं तो कजराने नयना

काजर से सजते हैं

पर जब तुम्हारी बात उठती है

तब नयनों में तारे सजते हैं।