अब कोई हमसफ़र नहीं होता

प्रार्थनाओं का अब कोई असर नहीं होता।

कामनाओं का अब कोई

सफ़र नहीं होता।

सबकी अपनी-अपनी मंज़िलें हैं ,

और अपने हैं रास्ते।

सरे राह चलते

अब कोई हमसफ़र नहीं होता।

देखते-परखते निकल जाती है

ज़िन्दगी सारी,

साथ-साथ रहकर भी ,

अब कोई बसर नहीं होता।

भरोसे की तो हम

अब बात ही नहीं करते,

अपने और परायों में

अब कुछ अलग महसूस नहीं होता।