अपने मन के संतोष के लिए

न सम्मान के लिए, न अपमान के लिए

कोई कर्म न कीजिए बस बखान के लिए

अपनी-अपनी सोच है, अपनी-अपनी राय

करती हूं बस अपने मन के संतोष के लिए