अपनी बत्‍ती गुल हो जाती है

बड़ा हर्ष होता है जब दफ्तर में बिजली गुल हो जाती है

काम छोड़ कर चाय-पानी की अच्‍छी दावत हो जाती है

इधर-उधर भटकते, इसकी-उसकी चुगली करते, दिन बीते

काम नहीं, वेतन नहीं, यह सुनकर अपनी बत्‍ती गुल हो जाती है