अकारण क्यों हारें

राहों में आते हैं कंकड़-पत्थर, मार ठोकर कर किनारे।

न डर किसी से, बोल दे सबको, मेरी मर्ज़ी, हटो सारे।

जो मन चाहेगा, करें हम, कौन, क्यों रोके हमें यहां।

कर्म का पथ कभी छोड़ा नहीं, फिर अकारण क्यों हारें।