मेरे साहस से

दया भाव मत दिखलाना।

लड़की-लड़की कहकर मत जतलाना।

बेटियों के अधिकारों की बात मत उठाना।

हो सके तो सरकार को समझाना।

नित नई योजनाएं बनती हैं

उनको कभी तो लागू भी करवाना।

सुना है मैंने नदियों का देश है

एक नदी मेरे घर तक भी ले आना।

बोतलों में बन्द पानी की दुकानें लगी हैं

कभी मेरी गागर का पानी पीकर

अपनी प्यास बुझाना।

कभी तो हमारे साथ आकर

गागर उठवाना।

तुम पूछोगे

स्कूल नहीं जाती क्या

मेरे गांव में भी एक

बड़ा-सा स्कूल खुलवाना।

मेरा चित्र खींच-खींचकर

प्रदशर्नियों में धन कमाते हो,

कभी मेरी जगह खड़े होकर

गागर लेकर,

धूप, छांव, झडी में

नंगे पांव

कुएं तक चलकर जाना।

फिर मेरे साहस से

अपने साहस का मोल-भाव करवाना।

 

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