किसे अपना समझें किसे पराया

किसे अपना समझें किसे पराया 

मन के द्वार पर पहरे लगाकर बैठे हैं आज।

कोई भाव पढ़ न ले, गांठ बांध कर बैठे हैं आज।

किसे अपना समझें, किसे पराया, समझ नहीं,

अपनों को ही पराया समझ कर बैठे हैं आज।