किसने मेरी तक़दीर लिखी

न जाने कौन था वह

जिसने मेरी तक़दीर लिखी

ढूँढ रही हूँ उसे

जिसने मेरी तस्वीर बनाई।

मिले कभी तो  पूछूँगी,

किसी जल्दी में थे क्या

आधा-अधूरा लिखा पन्ना

छोड़कर चल दिये।

आधे काॅलम मुझे खाली मिले।

अब बताओ भला

ऐसे कैसे जीऊँ भरपूर ज़िन्दगी।

मिलो तो कभी,

अपनी तक़दीर देना मेरे हाथ

फिर बताऊँगी तुम्हें

कैसे बीतती है ऐसे

आधी-अधूरी ज़िन्दगी।