जब भी दूध देखा

सुना ही है

कि भारत में कभी

दूध-घी की

नदियाँ बहा करती थीं।

हमने तो नहीं देखीं।

बहती होंगी किसी युग में।

हमने तो

दूध को सदा

टीन के पीपों से ही

बहते देखा है।

हम तो समझ ही नहीं पाये

कि दूध के लिए

दुधारु पशुओं का नाम

क्यों लिया जाता है।

कैसे उनका दूध समा जाता है

बन्द पीपों में

थैलियों में और बोतलों में।

हमने तो जब भी दूध देखा

सदा पीपों में, थैलियों में

बन्द बोतलों में ही देखा।