सच और झूठ
ज़िन्दगी में
बहुत से
सच और झूठ हुआ करते हैं
लेकिन
अक्सर ऐसा क्यों होता है
कि जो तुम कहो
वही सबके लिए सच होता है।
क्यों होता है ऐसा
नहीं है कोई प्रश्न या उत्तर।
बस ऐसा ही होता है।
कुछ सच मेरे पास भी हैं
न जाने कैसे वे
झूठ का आवरण ओढ़ लेते हैं
न तुम समझना चाहते हो
न मैं समझा पाती हूँ।
इसलिए
अब मैंने कहना ही बन्द कर दिया है
जो तुम कहो
वही सच है
मान लिया मैंने भी।