धन्यवाद देता हूँ ईश्वर को

मेरी खुशियों को

नज़र न लगे किसी की

धन्यवाद देता हूँ

ईश्वर को

मुझे वनमानुष ही रहने दिया

इंसान न बनाया।

न घर की चिन्ता

न घाट की

न धन की चिन्ता

न आवास की

न जमाखोरी

न धोखाधड़ी, न चोरी

न तेरी न मेरी

न इसकी न उसकी

न इधर की, न उधर की

न बच्चे बोझ

न बच्चों पर बोझ

यूँ ही मदमस्त रहता हूँ

अपनी मर्ज़ी से

खाता-पीता हूँ

मदमस्त सोता हूँ।

ईष्र्या हो रही है न मुझसे