Share Me
तुम्हारी छोटी-छोटी बातें
अक्सर
बड़ी चोट दे जाती हैं
पूछते नहीं तुम
क्या हुआ
बस डाँटकर
चल देते हो।
मैं भी आँसुओं के भीतर
मुस्कुरा कर रह जाती हूँ।
Share Me
Write a comment
More Articles
अंधविश्वासों में जीते
कौओं की पंगत लगी
बैठे करें विचार
क्यों न हम सब मिलकर करें
इस मानव का बहिष्कार
किसी पक्ष में हमको पूजे
कभी उड़ायें पत्थर मार।
यूं कहते मुझको काला-काला,
मेरी कां-कां चुभती तुमको
मनहूस नाम दिया है मुझको
और अब मैं तुमको लगता प्यारा।
मुझको रोटी तब डाले हैं
जब तुम पर शामत आन पड़ी,
बासी रोटी, तैलीय रोटी
तुम मुझको खिलाते हो।
अपने कष्ट-निवारण के लिए
मुझे ढूंढते भागे हो।
किसी-किसी के नाम पर
हमें लगाते भोग
अंधविश्वासों में जीते
बाबाओं के चाटें तलवे
मिट्टी में होते हैं लोट-पोट।
जब ज़िन्दा होता है मानव
तब क्या करते हैं ये लोग।
न चाहिए मुझको तेरी
दान-दक्षिणा, न पूजी रोटी।
मुंडेर तेरी पर कां-कां करता
बच्चों का मन बहलाता हूं।
अपनी मेहनत की खाता हूं।
Share Me
अपनापन
जब किसी अपने
या फिर
किसी अजनबी के साथ
समय का
अपनत्व होने लगता है,
तब जीवन की गाड़ी
सही पहियों पर
आप ही दौड़ने लगती है,
और गंतव्य तक
सुरक्षित
लेकर ही जाती है।
Share Me
हादसा
यह रचना मैंने उस समय लिखी थी जब 1987 में चौधरी चरण सिंह की मृत्यु हुई थी और उसी समय लालडू में दो बसों से उतारकर 43 और 47 सिखों को मौत के घाट उतार दिया था।)
*****************************
भूचाल, बाढ़, सूखा।
सामूहिक हत्याएं, साम्प्रदायिक दंगे।
दुर्घटनाएं और दुर्घटनाएं।
लाखों लोग दब गये, बह गये, मर गये।
बचे घायल, बेघर।
प्रशासन निर्दोष। प्राकृतिक प्रकोप।
खानदानी शत्रुता। शरारती तत्व।
विदेशी हाथ।
सरकार का कर्त्तव्य
आंकड़े और न्यायिक जांच।
पदयात्राएं, आयोग और सुझाव।
चोट और मौत के अनुसार राहत।
विपक्षी दल
बन्द का आह्वान।
फिर दंगे, फिर मौत।
सवा सौ करोड़ में
ऐसी रोज़मर्रा की घटनाएं
हादसा नहीं हुआ करतीं।
हादसा तब हुआ
जब एक नब्बे वर्षीय युवा,
राजनीति में सक्रिय
स्वतन्त्रता सेनानी
सच्चा देशभक्त
सर्वगुण सम्पन्न चरित्र
असमय, बेमौत चल बसा
अस्पताल में
दस वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद।
हादसा ! बस उसी दिन हुआ।
देश शोक संतप्त।
देश का एक कर्णधार कम हुआ।
हादसे का दर्द
बड़ा गहरा है
देश के दिल में।
क्षतिपूर्ति असम्भव।
और दवा -
सरकारी अवकाश,
राजकीय शोक, झुके झण्डे
घाट और समाधियां,
गीता, रामायण, बाईबल, कुरान, ग्रंथ साहिब
सब आकाशवाणी और दूरदर्शन पर।
अब हर वर्ष
इस हादसे का दर्द बोलेगा
देश के दिल में
नारों, भाषणों, श्रद्धांजलियों
और शोक संदेशों के साथ।
ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को
शांति देना।
Share Me
चाहतों की भूख
जीवन में आगे-पीछे, ऊपर-नीचे तो चलता रहता है
जो पाया, अनायास न जाने कभी कहाँ खो जाता है
बहुत-बहुत की चाह में धक्का-मुक्की में लगे हैं हम
चाहतों की भूख से मानव कहाँ कभी पार पा पाता है।
Share Me
मेहनत करते हैं जीते हैं
मां ने बोला था कल लोहड़ी है, लकड़ी का न हुआ है इंतज़ाम
विद्यालय में कुछ पुराने पेड़ कटे थे, मैं ले आई माली से मांग
बस हर वक्त भूख, रोटी, लड़की, शोषण की ही बात मत कर
मेहनत करते हैं, जीते हैं अपने ढंग से, यह लो तुम भी मान
Share Me
सपना देखने में क्या जाता है
कोई भी उड़ान
इतनी सरल नहीं होती
जितनी दिखती है।
बड़ा आकर्षित करता है
आकाश को चीरता यान।
रंगों में उलझता।
दोनों बाहें फैलाये
आकाश को
हाथों से छू लेने की
एक नाकाम कोशिश,
अक्सर
मायूस तो करती है,
लेकिन आकाश में
चमकता चांद !
कुछ सपने दिखाता है
पुकारता है
साहस देता है,
चांद पर
घर बसाने का सपना
दिखाता है,
जानती हूं , कठिन है
असम्भव-प्रायः
किन्तु सपना देखने में क्या जाता है।
Share Me
यह कलियुग है रे कृष्ण
देखने में तो
कृष्ण ही लगते हो
कलियुग में आये हो
तो पीसो चक्की।
न मिलेगी
यहां यशोदा, गोपियां
जो बहायेंगी
तुम्हारे लिए
माखन-दहीं की धार
वेरका का दूध-घी
बहुत मंहगा मिलता है रे!
और पतंजलि का
है तो तुम्हारी गैया-मैया का
पर अपने बजट से बाहर है भई।
तुम्हारे इस मोहिनी रूप से
अब राधा नहीं आयेगी
वह भी
कहीं पीसती होगी
जीवन की चक्की।
बस एक ही
प्रार्थना है तुमसे
किसी युग में तो
आम इंसान बनकर
अवतार लो।
अच्छा जा अब,
उतार यह अपना ताम-झाम
और रात की रोटी खानी है तो
जाकर अन्दर से
अनाज की बोरी ला ।
Share Me
कृष्ण ने किया था शंखनाद
महाभारत की कथा
पढ़कर ज्ञात हुआ था,
शंखनाद से कृष्ण ने किया था
एक ऐसे युद्ध का उद्घोष,
जिसमें करोड़ों लोग मरे थे,
एक पूरा युग उजड़ गया था।
अपनों ने अपनों को मारा था,
उजाड़े थे अपने ही घर,
लालसा, मोह, घृणा, द्वेष, षड्यन्त्र,
चाहत थी एक राजसत्ता की।
पूरी कथा
बार-बार पढ़ने के बाद भी
कभी समझ नहीं पाई
कि इस शंखनाद से
किसे क्या उपलब्धि हुई।
-
यह भी पढ़ा है,
कि शंखनाद की ध्वनि से,
ऐसे अदृश्य
जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं
जो यूं
कभी नष्ट नहीं किये जा सकते।
इसी कारण
मृत देह के साथ भी
किया जाता है शंखनाद।
-
शुभ अवसर पर भी
होता है शंखनाद
क्योंकि
जीवाणु तो
हर जगह पाये जाते हैं।
फिर यह तो
काल की गति बताती है,
कि वह शुभ रहा अथवा अशुभ।
-
एक शंखनाद
हमारे भीतर भी होता है।
नहीं सुनते हम उसकी ध्वनियां।
एक आर्तनाद गूंजता है और
बढ़ते हैं एक नये महाभारत की ओेर।
Share Me
पुरानी कथाओं से सीख नहीं लेते
पता नहीं
कब हम इन
कथा-कहानियों से
बाहर निकलेंगे।
पता नहीं
कब हम वर्तमान की
कड़वी सच्चाईयों से
अपना नाता जोड़ेंगे।
पुरानी कथा-कहानियों को
चबा-चबाकर,
चबा-चबाकर खाते हैं,
और आज की समस्याओं से
नाता तोड़ जाते हैं।
प्रभु से प्रेम की धार बहाईये,
किन्तु उनके मोह के साथ
मानवता का नाता भी जोड़िए।
पुस्तकों में दबी,
कहानियों को ढूंढ लेते हैं,
क्यों उनके बल पर
जाति और गरीबी की
बात उठाते हैं।
राम हों या कृष्ण
सबको पूजिए,
पर उनके नाम से आज
बेमतलब की बातें मत जोड़िए।
उनकी कहानियों से
सीख नहीं लेते,
किसी के लिए कुछ
नया नहीं सोचते,
बस, चबा-चबाकर,
चबा-चबाकर,
आज की समस्याओं से
मुंह मोड़ जाते हैं।