फागुन आया

बादलों के बीच से

चाँद झांकने लगा

हवाएँ मुखरित हुईं

रवि-किरणों के

आलोक में

प्रकृति गुनगुनाई

मन में

जैसे तान छिड़ी,

लो फागुन आया।