ज़िन्दगी के गीत

ज़िन्दगी के कदमों की तरह

बड़ा कठिन होता है

सितार के तारों को साधना।

बड़ा कठिन होता है

इनका पेंच बांधना।

यूँ तो मोतियों के सहारे

बांधी जाती हैं तारें

किन्तु ज़रा-सा

ढिलाई या कसाव

नहीं सह पातीं

जैसे प्यार में ज़िन्दगी।

मंद्र, मध्य, तार सप्तक की तरह

अलग-अलग भावों में

बहती है ज़िन्दगी।

तबले की थाप के बिना

नहीं सजते सितार के सुर

वैसे ही अपनों के साथ

उलझती है जिन्दगी

कभी भागती, कभी रुकती

कभी तानें छेड़ती,

राग गाती,

झाले-सी दनादन बजती,

लड़ती-झगड़ती

मन को आनन्द देती है ज़िन्दगी।