पाप की हो या पुण्य की गठरी

 

पाप की हो या

पुण्य की गठरी

तो भारी होती है।

कौन करेगा निर्णय

पाप क्या

या पुण्य क्या!

तू मेरे गिनता

मैं तेरे गिनती,

कल के डर से

काल के डर से

सहम-सहम

चलते जीवन में।

इहलोक यहीं

परलोक यहीं

सब लोक यहीं

यहीं फ़ैसला कर लें।

कल किसने देखा

चल आज यहीं

सब भूल-भुलाकर

जीवन

जी भर जी लें।