आवरण से समस्याएं नहीं सुलझतीं

समझ नहीं आया मुझे,

किसके विरोध में

तीर-तलवार लिए खड़ी हो तुम।

या इंस्टा, फ़ेसबुक पर

लाईक लेने के लिए

सजी-धजी चली हो तुम।

साड़ी, कुंडल, करघनी, तीर

मैचिंग-वैचिंग पहन चली,

लगता है

किसी पार्लर से सीधी आ रही हो

कैट-वाॅक करती

अपने-आपको

रानी झांसी समझ रही हो तुम।

तिरछी कमान, नयनों के तीर से

किसे घायल करने के लिए

ये नौटंकी रूप धरकर

चली आ रही हो तुम।

.

लगता है

ज़िन्दगी से पाला नहीं पड़ा तुम्हारा।

तुम्हें बता दूं

ज़िन्दगी की लड़ाईयां

तीर-तलवार से नहीं लड़ी जातीं

क्या नहीं जानती हो तुम।

ज़िन्दगी तो आप ही दोधारी तलवार है

शायद आज तक चली नहीं हो तुम।

कभी झंझावात, कभी आंधी

कभी घाम तीखी,

शायद झेली नहीं हो तुम।

.

कल्पनाओं से ज़िन्दगी नहीं चलती।

आवरण से समस्याएं नहीं सुलझतीं।

भेष बदलने से पहचान नहीं छुपती।

अपनी पहचान से गरिमा नहीं घटती।

इतना समझ लो बस तुम।