सबकी ही तो हार हुई है

जब भी तकरार हुई है

सबकी ही तो हार हुई है।

इन राहों पर अब जीत कहां

बस मार-मारकर ही तो बात हुई है।

हाथ मिलाने निकले थे,

क्‍यों  मारा-मारी की बात हुई है।

बात-बात में हो गई हाथापाई,

न जाने क्यों

हाथ मिलाने की न बात हुई है।

समझ-बूझ से चले है दुनिया,

गोला-बारी से तो

इंसानियत बरबाद हुई है।

जब भी युद्धों का बिगुल बजा है,

पूरी दुनिया आक्रांत हुई है।

समझ सकें तो समझें हम,

आयुधों पर लगते हैं अरबों-खरबों,

और इधर अक्सर

भुखमरी-गरीबी पर बात हुई है।

महामारी से त्रस्त है दुनिया

औषधियां खोजने की बात हुई है।

 

चल मिल-जुलकर बात करें।

तुम भी जीओ, हम भी जी लें।

मार-काट से चले न दुनिया,

इतना जानें, तब आगे बढ़े है दुनिया।