लाल बहादुर शास्त्री की स्मृति में
राजनीति में,
अक्सर
लोग बात करते हैं,
किसी के
पदचिन्हों पर चलने की।
किसी के विचारों का
अनुसरण करने की।
किसी को
अपनी प्रेरणा बनाने की।
एक सादगी, सीधापन,
सरलता और ईमानदारी!
क्यों रास नहीं आई हमें।
क्यों पूरे वर्ष
याद नहीं आती हमें
उस व्यक्तित्व की,
नाम भूल गये,
काम भूल गये,
उनका हम बलिदान भूल गये।
क्या इतना बदल गये हम!
शायद 2 अक्तूबर को
गांधी जी की
जयन्ती न होती
तो हमें
लाल बहादुर शास्त्री
याद ही न आते।